ऱाज पिछले जनम का

ऱाज  पिछले जनम का  :
                           कहते हैं कि मानव जीवन आसानी से नहीं मिलता है | यह युक्ति शत प्रतिशत सत्य है | एक मनो वैज्ञानिक डॉक्टर  Dr. Brian Weiss ने अपने पुस्तक Many Lives - Many masters में इस विषय  पर अपने अनुभव और अपने मरीजों की पिछली ज़िन्दगी का अति विशिट रूप में विश्लेषण किये हैं | जीवन के हर आयाम में बहुत सी आत्माएं होती है | हम जब इस शरीर का त्याग करते है तब केवल शरीर नष्ट होता अतमा नहीं | आत्मा कभी नहीं मरती, ये तो बस एक शरीर से दुसरे शरीर में प्रवेश करता है |

               लेकिन मृत्यु के बाद इतना आसान नहीं होता है, जल्द ही वो नए शरीर को अपना ले | हर एक आत्मा को नए शरीर में प्रवेश करने से पहले क्रमानुसार प्रगमन के दौर से गुजरना पड़ता है | चेतना कि हर एक सीढ़ी को पार करके उच्च श्रेणी में प्रवेश करना जरुरी होता है |  यह सत्य है कि हर आत्मा यह पहले से ही निर्णय ले लेती है कि कब उसे शाररिक अवस्था को अपनाना है और कब उसे छोड़ना है | यानि कि हर मानव का जनम और मृत्यु पहले से ही तय होती है | और सबसे बड़ी आश्चर्य कि बात यह है कि यह खुद वो आत्मा तय करके हर जीवन की शारीरिक अवस्था को अपनाती  है |

                   प्रत्येक आत्मा यह जानती है कि उसने अपना कार्य यानि कि जिम्मेवारी पूरी कर ली है | आत्मा यानि कि हम जनम लेने से पहले यह जानते है कि हमारा जनम लेने का अभिप्राय क्या है ? हमे यह जीवन किस लिए मिला है ? हमे कितने दिनों कि मोहल्लत दी गयी है अपनी जिम्मेदारिओं को पूरा करने के लिए | जब एक समय आता है और हमें ख़ुशी प्रुवक मौत को गले लगाना पड़ता है | हम यह भी जानते है कि हमें इस जीवन से जो मिलना तय है उससे कम या अधिक नहीं मिल सकती है | एक जीवन त्याग करने के बाद के समय को आत्मा का आराम का समय होता है , यानी इस दौरान आत्मा अपने आप को फिर से संगठित करती है एक नए शारीरिक अवस्था को अपनाने के लिए | इस दौरान हमें शारीरिक अवस्था में आने की आज्ञा नहीं दी जाती है | कुछ लोग या कहें कुछ आत्मायें जो संकोची होती है, जो नये शरीर में वापस जाने से डरती है | वैसी आत्मायें अपना मौका गवां देती है | कहते हैं कि अपना मौका को बरक़रार रखने के लिए अपनी जिमेदारी या कार्य को भलीभांति पूरा करना चाहिए जो हमें निर्धारित की जाती है जब हम शारीरिक अवस्था में होते है | 

                     हर एक आत्मा का पथ एक जैसा ही होता है | जरुरत है कुछ अच्छी प्रवितियाँ सिखने और अपने जीवन में अपनाने को जब हम शारीरिक अवस्था में होते हैं | हम लोगों  में कुछ ये प्रवितियाँ जल्दी ही अपना लेते है और कुछ को काफी समय लग जाता है | दयालुता , उदारता, विश्वास , आश्वासन , प्रेम , श्रधा इतियादि कुछ ऐसी ही प्रवितियाँ हैं किसे हमें अपने जीवन में उतरना चाहिए और इसे अच्छी तरह से जानना चाहिए | ऐसा नहीं है केवल बस एक आश्वासन , एक प्रेम , और एक विश्वास काफी है एक सफल जीवन के लिए | यहाँ पर अनेकों ऐसे रास्तें है ,  हर पल , हर क्षण हमें खुद को सिद्ध करने का मौका मिलता है | बस उनमे से कुछ पल काफी है अपने को सिद्ध करने के लिए |
                    धार्मिक लोग इस मायने में अधिक नजदीक होते है क्यों कि उनमे आज्ञापरता और पवित्रता का संग्रह होता है | वे लोग अपना सब कुछ त्याग करते हैं बिना किसी वापस पाने की आशा  से यानि कि स्वार्थ पूर्ण कर्म | जबकि बाकी लोग हमेशा हर कर्म के बदले में पुरुस्कार या पुण्य की आशा रखते हैं | जब हमें हमारे कर्म के बदले कोई पुरुस्कार या पुण्य नहीं मिलता है तो हमें क्या महसूस होता है ? ये जानना जरुरी है कि हम क्या स्वार्थ के लिए कोई भी कर्म कर रहे है ! जीवन में हरकुछ समय पे मिलता है, यह जीवन को अपनी अपनी इच्छा से नहीं भगा सकते है | हर कुछ तय है, समय तय है | जो जब जब होना है वो तब तब होता है | हमें उसे उसी अवस्था में अपनाना चाहिए और कभी भी उससे जाएदा कि इच्छा नहीं करने चाहिए | लेकिन जीवन का कोई अंत नहीं है, अत: हम  न तो कभी मरते हैं न ही सही में जनम लेते है | वास्तव में हम एक चरण से दुसरे चरण में प्रवेश करते हैं | यहाँ पर कोई अंत नहीं है | मानव जीवन का विस्तार काफी दूर तक है | जो समय हम देखते है वह समय नहीं है जबकि वह एक पाठ है जो हम पढ़ते है |