Ye Zindagi .........Ek dard ka rishta


इस ज़िन्दगी को क्या नाम दे ,
खुशिओं का खजाना कहे या ग़मों का तराना |
कहें इसे मुश्किलों का सामना या
फिर हो इसमें डूब जाना |

ज़िन्दगी मिलती है कुछ कर जाने को,
इसमें कुछ पाने को या मिट जाने को |
नहीं होता इसकी रहें इतना आसान,
थोडा सा पाकर सबकुछ खोने को |
क्या नाम दे इस ज़िन्दगी को  |

हर पल किसी तलाश में मारे फिरते है ,
फिर भी नहीं मिलती मनचाही ज़िन्दगी |
खाली - खाली सा लगता है मन
छाने लगता है सूनापन,
जब पास होती नहीं मेरी जिंदगानी |
आखिर क्या नाम दूँ इस ज़िन्दगी को |

ख्वाबों में बसती थी मेरी ये जिंदगानी
दुनिया छोटी लगती थी मेरी ये जिंदगानी
हर ख्वाब पूरा होता था यहाँ पर ,
किसी की तलाश नहीं थी यहाँ पर
एक वो थी मेरी जिंदगानी
क्या नाम दूँ उसे ये ज़िन्दगी |

कुछ पाने कि चाहत है ये ज़िन्दगी
पर डरता हूँ खोने से ये ज़िन्दगी 
कुछ पाया तुझसे ये ज़िन्दगी
पर बहुत कुछ खोया है ये ज़िन्दगी
ना पाऊं तुझे कोई गम नहीं 
मिल जाए तो गले से लगा लूँ ये ज़िन्दगी
क्या नाम दूँ ये ज़िन्दगी | 

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दूर बैठा कोई जब याद करता है

सूरज की तपती गर्मी में एक एहसास दी है |
कहीं दूर किसी का दिल धड़कता तो होगा,
जब इस दिल ने उसे एक आवाज दी है |

यूँ ही सांसे थम सी नहीं जाती ,
यूँ ही धड़कने तेज सी नहीं होती ,
यूँ ही कोई ख्यालों में खो नहीं जाता |
यूँ ही लोग उसे दीवाना न समझ लेते ,
जब उस दीवाने को किसी ने आवाज दी है |

कितना अजीब सा लगता है, जब मन बेचैन सा होता है ,
जब इस दिल की डोर कोई और खींचता है |
कितना प्यारा सा लगता है, दुनिया सिमट सी जाती है ,
जब दूर बैठा कोई याद करता है |
कितना दर्द होता है, आँखें भर सी आती है,
जब दूर किसी के दिल में एक आह उभर आती है |

सिसकती तपस जब दिल को छू जाती है,
मन कि तड़प जब किसी कि याद दिला जाती है |
इन आँखों के मोती जब किसी के दर्द बयाँ करती है,
जब हिचकियाँ भी दिल के दर्द को बढ़ा जाती है ,
दूर बैठा कोई जब याद करता है |
 कहीं दूर किसी ने आवाज दी है ,