बुधवार, 1 दिसंबर 2010

दूर कहीं से एक आवाज आती है

दूर कहीं से एक आवाज आती है ,
दूर कहीं से एक आवाज आती है
दिल में एक कसक छोड़ जाती है |
नहीं भुला पाता उस मंजर को ,
जब छेड़ा था तुमने इस दिल के तार को |

क्यों में मजबूर हो चला था ,
खुद से ही दूर हो चला था |
चाहत थी बहुत जिसे छुपाये रखा था ,
तुम्हारी मदहोश नैनो से बचाए रखा था |


बहुत रोका था इसे पर रोक न सका ,
चाह कर भी तुझसे दूर  रख न सका |
बांध गया तुम्हारे प्यार के मोहपाश में ,
तन्हा रह न सका अपने एहसास में |


जीने नहीं देती है ये एहसासे ,
न मरने देती है ये एहसासे |
बस एक उफ़ सी निकलती है इस दिल से ,
और चुभ सी जाती है हजारों कांटे |


तुझे भूलना तो चाहा पर भुला न सका ,
तुझे पाना चाहा पर पा न सका |
तुझसे दूर जाना चाहा पर जा न सका ,
इस ज़िन्दगी से टूटना चाहा पर टूट न सका |


तुझे देखे बिना दिन नहीं गुजरता था ,
तुझे सोचे बिना पल नहीं संभालता था |
राते कटती थी मेरी तन्हायियो में ,
चाँद चुप जाता था उन रुस्वायिओं में |


दूर कहीं से एक आवाज आती है ,
दिल में एक कसक छोड़ जाती है |